सुप्रभात प्रिय

उठो जागो सुन लो मेरी बात प्रिये

छिपा चन्द्रमा बीती अब रात प्रिये।।।।


औंस औंस ये मोती से चमके

हुई हैं शीत का हिमपात प्रिये ।।।


उठो जागो सुन लो मेरी बात प्रिये ।।।।।।


रजाई से बाहर निकलो तो

ओढ़ना कुछ तुम

चाय पीओ जी अब तुम साथ प्रिये ।।।।


कर्ण व्याकुल हैं तुमको सुनने को

हृदय में हैं छवि तुम्हारी आत्मसात प्रिये ।।।


देखो चिड़िया भी कह रही हैं

और कह रही प्रकृति तुमको सुप्रभात प्रिये ।।।


सुप्रभात प्रिये ।।।

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